दोहे 1
धन सुकृत का है वही ईश्वन हित लग जाय। भक्ति मुक्ति देवै दोऊ दीन दुखी…
Read Moreईश पैंठ संसार यह दोही वस्तु बिकाय। व्यवपारी मनु जीव है जो चाहै लै जाय।।…
Read Moreप्रीति रखियो धर्म से दुहूँ लोक सुख होय। कलियुग अति बलवान है कही न मानैं…
Read Moreजो करना है काल तोहि करले आज सुजान। आज करै सो अबहिं कर पल में…
Read Moreजितने कवि कोविद भए कहि गए तुम्हें पुकार। चौकस रहियो धरम से मिलिहें छली हजार।।1…
Read Moreकवि कोविद के कर्म यहि देवहिं भुले न ज्ञान। पाय सीख शुभ छोड़दें सब कुपंथ…
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