ये मुझ से पूछिए क्या जूस्तजू में लज़्ज़त है
ये मुझ से पूछिए क्या जूस्तजू में लज़्ज़त है फ़ज़ा-ए-दहर में तहलियल हो गया हूँ…
Read Moreये मुझ से पूछिए क्या जूस्तजू में लज़्ज़त है फ़ज़ा-ए-दहर में तहलियल हो गया हूँ…
Read Moreखुदा जाने कहाँ है ‘असग़र’-ए- दीवाना बरसों से कि उस को ढूँढते हैं काबा-ओ-बुतखाना बरसों…
Read Moreये राज़ है मेरी ज़िंदगी का पहने हुए हूँ कफ़न खुदी का फिर नश्तर-ए-गम से…
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