मैं और हम-आग़ोश हूँ उस रश्क-ए-परी से
मैं और हम-आग़ोश हूँ उस रश्क-ए-परी से कब इस की तवक़्क़ो मुझे बे-बाल-ओ-परी से जागेंगे…
Read Moreमैं और हम-आग़ोश हूँ उस रश्क-ए-परी से कब इस की तवक़्क़ो मुझे बे-बाल-ओ-परी से जागेंगे…
Read Moreसिवादे-शामे-ग़म से रूह थर्राती है क़ालिब में। नहीं मालूम क्या होगा, जो इस शब की…
Read Moreमेरी सूरत देखकर क्यों तुमने ठंड़ी साँस ली? बेकसों पर रहम—आईने-सितमगारी नहीं। हर तरफ़ से…
Read Moreसोज़ाँ ग़मे-जावेद से दिल भी है जिगर भी। इक आह का शोला कि इधर भी…
Read Moreवो एक तुम कि सरापा बहारो-नाज़शे-गुल। वो एक मैं कि नहीं सूरत आशनाए-बहार॥ ज़मीं पै…
Read More