फहराओ तिरंग फहराओ!
हिन्द चेतना के जाग्रत ध्वज
ज्योति तरंगों में लहराओ!
इंद्र धनुष से गर्जन घन में
पौरुष से जग जीवन रण में
जन स्वतंत्रता के प्रांगण में
विजय शिखा से उठ छहराओ!
उठते तुम उठते दृग अपलक
स्वाभिमान से उठते मस्तक
उठते बहु भुज चरण अचानक,,
लोहे की दीवार गरजती
हमें त्याग का पथ दिखलाओ!
तुम्हें देख जन मन निर्भय हो
धरती पर नव स्वर्णोदय हो,
आत्म विजय ही विश्व विजय हो
जब जब जग में लोक क्रांति हो
तुम प्रकाश किरणें बरसाओ!
भगे अविद्या दैन्य निराशा
जगे उच्च जीवन अभिलाषा
एक ध्येय हो भूषा भाषा
प्रेम शक्ति के शांति चक्र तुम
जग में चिर जन मंगल लाओ!