अपने सर हर इक मुसाफिर की बला लेने के बाद
नाखुदा डूबा मगर बेड़ा बचा लेने के बाद
अपना-अपना जोरे बाज़ू आजमा लेने के बाद
सब किनारे हो गये तूफँा उठा लेने के बाद
साँस तोडँूगा मग रनाम आपका लेने के बाद
जान भी दूँगा तो जीने का मज़ा लेने के बाद
जिन्दगी की आखिरी जहमत उठा लेने के बाद
सब भुला बैठेंगे चार आँसू बहा लेने के बाद
अपनी हस्ती राहे हस्ती में मिटा लेने के बाद
आप तक फिर आ रहा हूँ खाक उड़ा लेने के बाद
इन्किलाबे वक्त की रूदाद उससे पूछिये
जिसने अपना घर उजाड़ा हो बसा लेने के बाद
आप अपने हैं तो कीजे कत्ल ऐसी शक्ल से
खूँ बहा भी आप ही लें खूनूु बहा लेने के बाद
मेरे सीने में भी दिल है मैं भी हूँ गम की अमीं
मेरी भी सुनियेगा कुछ अपनी सुना लेने के बाद
आप इधर कैसे जरा रूकिये ये राहे इश्क है
आगे बढ़िये हम फकीरों की दुआ लेने के बाद
आये थे जो शमा-ए-महफिल को बुझाने के लिये
वो गये महफिल से अपना दिल बुझा लेने के बाद
फातिहे दिल मुहब्बत या सियासत ऐ ’नजीर’
कहिये तारीखे का जाइजा लेने के बाद