क़फ़स में खींच ले जाये मुक़द्दर या नशेमन में।
हमें परवाज़ से मतलब है, चलती हो हवा कोई॥
वफ़ा करके मैं यूँ बैठा हूँ फैलाये हुए दामन।
कि जैसे बाँटता फिरता है इनआ़मे-वफ़ा कोई॥
क़फ़स में खींच ले जाये मुक़द्दर या नशेमन में।
हमें परवाज़ से मतलब है, चलती हो हवा कोई॥
वफ़ा करके मैं यूँ बैठा हूँ फैलाये हुए दामन।
कि जैसे बाँटता फिरता है इनआ़मे-वफ़ा कोई॥