मधुर स्वर तुमने बुलाया,
छद्म से जो मरण आया।
बो गई विष वायु पच्छिम,
मेघ के मद हुई रिमझिम,
रागिनी में मृत्युः द्रिमद्रिम,
तान में अवसान छाया।
चरण की गति में विरत लय,
सांस में अवकाश का क्षय,
सुषमता में असम संचय,
वरण में निश्शरण गाया।
मधुर स्वर तुमने बुलाया,
छद्म से जो मरण आया।
बो गई विष वायु पच्छिम,
मेघ के मद हुई रिमझिम,
रागिनी में मृत्युः द्रिमद्रिम,
तान में अवसान छाया।
चरण की गति में विरत लय,
सांस में अवकाश का क्षय,
सुषमता में असम संचय,
वरण में निश्शरण गाया।