अबहूँ जो दरसन न देवोगे बिहारी लाल,
तो जाय रामा मातु पास बिनती सुनाऊँगा।
तिन्हीं की सलाह पाय जाऊँ शारदा के पास,
युक्तियुक्त एक दरखास्त लिखवाऊँ।
अवध बिहारी तोही ऊपर करूँगा नालिस,
आरत पुकार हो के सम्मन भेजवाऊँगा।
होवोगे ना हाजिर गर साबूत सभ पास लिये,
होकर लाचार वारंट करवाऊँगा।