अरे अरे सखी बार बार छि छि
ठारत चंचल अँखिया साँवलिया।
दुरु दुरु गुरु गुरु काँपते हिया ऊरु
हाथ से गिर जाए कुमकुम थालिया।।
आर न होरी खेलबो गोरी
आबीर फाग दे पानी में डारी हा प्यारी—
श्याम कि फागुआ लाल की लगुआ
छि छि मोरी शरम धरम सब हारी
मारे छातिया मे कुमकुम बे-शरम बानिया।।

By shayar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *