कुटिल कुचाली माता निठुर पिता भी याके
ऐसो सुत जाके ता के बन में पेठाई है।
निरदई विधाता मनराता नहीं त्राता
हाय बालक बन जाता तनिक दया नहीं आई है।
फूलन की बिछौना जौना हीरा जवाहिर जरे
मेवा मधु खानपान नाहक बनाई है।
द्विज महेन्द्र बार-बार छवि की बलि हार जाऊँ
भाल अंक लिखत ब्रह्मा कवन चूक पाई है।