चोट साहे घनकि रे । हिरा नीबरे तोये ॥१॥ तुका सुरा नहि सबदका रे । जब कमाइ न होये । चोट साहे घनकि रे । हिरा नीबरे तोये ॥१॥ Post navigation कहे तुका जग भुला रे । कहया न मानत कोय तुका सुरा बहुत कहावे