मोजिद ओ मुफक्किर कर दिया तू ने यह साबित, ऐ दीलावर ‘आदमी’
ज़िन्दगी क्या , मौत से लेता है टक्कर ‘आदमी’
काट सकता है रके गर्दन से खंजर आदमी
लश्करो को रोन्द सकता है… आदमी
मोजिद ओ मुफक्किर कर दिया तू ने यह साबित, ऐ दीलावर ‘आदमी’
ज़िन्दगी क्या , मौत से लेता है टक्कर ‘आदमी’
काट सकता है रके गर्दन से खंजर आदमी
लश्करो को रोन्द सकता है… आदमी